राहत इन्दौरी की शायरी सिर्फ़ अल्फ़ाज़ नहीं होती, बल्कि एक एहसास होती है जो दिल के सबसे कोमल हिस्से को छू जाती है। उनकी शायरी में मोहब्बत की मिठास भी है और बग़ावत की आग भी। हर शेर एक आईना है, जिसमें समाज, सियासत और इंसानी जज़्बात साफ़ नज़र आते हैं। इस पेज पर आपको राहत साहब की वो चुनिंदा शायरियाँ पढ़ने को मिलेंगी, जो न केवल दिल को छूती हैं, बल्कि दिमाग़ को भी झकझोरती हैं। उनका हर मिसरा एक कहानी कहता है — कभी इश्क़ की, कभी दर्द की, और कभी हक़ की। अगर आप शायरी को सिर्फ़ पढ़ना नहीं, महसूस करना चाहते हैं, तो इस सफ़र में आपका स्वागत है।
Rahat Indori Shayari | राहत इंदौरी शायरी

कभी लफ़्ज़ों में जला दिया दर्द का बाजार,
कभी सन्नाटों में रोशन कर दिया इश्क़ का आँगार।
मेरी कलम ने आग उगली है हक़ की राह में,
जिसने जलाया मुझे, वही मुझमें नूर बना।
तेरे महफ़िल-ए-वफ़ा में मैं आग लगा बैठा,
तेरी बेवफाई ने मुझे भी शरीफ़ बना दिया।

शब्दों की तलवार पर लिखा है मेरा नाम,
हर जुल्म की गर्दन पे रखकर चुप कर दिया।
इश्क़ को मैंने सवालों से पार लगाया,
ज़माने की सनहाइयों को खामोशी में सुनाया।
तेरी हँसी पर बिखरे ख्वाब मैंने जुटाए,
तेरी तन्हाई ने मुझे कुछ भूले से कर दिया।

जहाँ सच उगता नहीं, मैंने दी रोशनी वहाँ,
वो मंज़िल मिली नहीं, पर मशाल जलाई वहाँ।
वफ़ा की क़समें तो लोगों ने रोज़ खाईं,
मैंने बस अपने दर्द को शायरी में पिरो लिया।
कभी महफ़िल में हँसा, कभी अँधेरी रात जली,
मेरे लफ़्ज़ों ने सूरज सा दिन ढलने न दिया।

किताबों ने भी क़ैद किया मुझको, मैं बाग़ी रहा,
गिरफ़्त-ए-एहसासों में लफ्ज़ों ने फ़ासला रखा।
तेरी बेवफ़ाई ने मुझे नया रंग दिखाया,
हर ज़ख्म को मैंने कलम की स्याही से जलाया।
जो चुप थे, उनकी ज़ुबाँ बनकर बोल उठे,
मेरी शायरी ने सबकी तन्हाई तोड़ दी।

नाज़ुक लफ़्ज़ों में जज़्बात की तूफ़ान छोड़ी,
सियासत के खेल में शर्म की दीवार तोड़ी।
मेरी आहट से हिल उठे जश्न-ए-इश्क़ के नगर,
मेरी खामोशी ने भी किया तमाम शहर पर असर।
जो ख़्वाब बिखरते रहे आँखों की नमी में,
मैंने शेरों में उन्हें समेट लिया खुशी में।

सच खरोंच के लिख दिया मैंने हर ज़ुल्म की दास्ताँ,
तेरी मोहब्बत ने भी मुस्कुराहट में दी पहचान।
जो लोग झूठ के समंदर में गोते लगाते रहे,
मैंने सच की नाव में अपने नक़्श रख दिए।
बेहोश करते हैं लफ़्ज़ मेरे दर्द की शराब,
पीकर जो जिए, वो याद रखे मेरी इबारत।

मोहब्बत की राह में कांटे बिखरते रहे,
मैंने हर धड़कन में इश्क़ को महकाया यहां।
तेरी तानों ने नहीं डराया, उल्टा हँसा,
मेरा दर्द भी अब मेरे नाम गीत बन गया।
बहते अश्क़ों को कविता की नदी बनाया,
मेरे हर मिसरे ने दिलों को जगाया।

नफ़्सियत की नींद को जगा दी बयान से,
मेरी शायरी ने सबको बना दिया खानदान से।
तेरे इल्ज़ामों ने मुझे भी तोड़ दिया,
पर दर्द से निकली आहें आशियाना बना गईं।
मैंने हर स्याही में अपना जज़्बा उकेरा,
जगह मिली नहीं तो ख्यालों में बसेरा किया।

जो जख्म गहरे थे, शेरों ने भर दिए,
मेरी कलम ने उन्हें दवा बना दिए।
सियासत के महल में आग लगा दी,
अपने लफ्ज़ों की मशाल से तमाशा गरम किया।
मैंने प्यार को सवाल बना कर रखा,
तूने जवाब दिया मज़बूत इम्तहान में।

जो चुप थे, उन्हें कर दिया शोर,
मेरी शायरी ने जहर वफ़ा में घोल दिया।
तेरे झूठ पर स्याही उड़ेल दी किताबों में,
मैंने सच को पदक जमा लिए ग़ज़लों में।
राहत की शायरी है, बारूद सा असर लेके,
हर दिल में छुपे जज़्बातों को उमंग देके।
इन्हे जरुर पढ़े
FAQ’s
1. Rahat indori shayari किस तरह की होती है?
राहत इन्दौरी की शायरी में बगावत, प्रेम, समाजिक सच्चाई और आत्म-सम्मान की झलक मिलती है। उनके शेर तेज़, भावनात्मक और सीधे दिल को छूने वाले होते हैं।
2. क्या आपकी वेबसाइट पर सभी शायरी राहत इन्दौरी की लिखी हुई हैं?
हमारी वेबसाइट पर राहत इन्दौरी जी की शायरी से प्रेरित, लेकिन मौलिक और नए लफ्ज़ों में लिखी गई शायरी भी शामिल है। हम उनके तेवर और शैली को सलाम करते हैं।
3. क्या इन Rahat indori shayari को सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं?
जी हां, आप वेबसाइट से शायरी को सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं। कृपया स्रोत (website name/link) का उल्लेख करें।
4. क्या यहां प्रेम (Love), देशभक्ति, ग़म आदि विषयों पर भी शायरी मिलेगी?
जी हां, हम विभिन्न विषयों पर शायरी प्रकाशित करते हैं जैसे इश्क़, ग़म, हौसला, देशभक्ति और जीवन के अनुभव।
5. क्या मैं अपनी लिखी हुई शायरी इस वेबसाइट पर भेज सकता/सकती हूं?
बिलकुल! यदि आप शायरी लिखते हैं और साझा करना चाहते हैं, तो आप हमें संपर्क फ़ॉर्म या ईमेल के माध्यम से अपनी शायरी भेज सकते हैं। चयनित रचनाएँ वेबसाइट पर प्रकाशित की जा सकती हैं।
Read Also: depression meme