30+ Best Mohsin Naqvi Shayari | मोहसिन नकवी शायरी

अगर आप उर्दू अदब, दर्द-ए-दिल और एहसास के सागर में डूबना चाहते हैं, तो Shayari Path आपके लिए सबसे सही जगह है। यहाँ हम रोज़ाना ऐसी अनमोल शायरियाँ साझा करते हैं जो न सिर्फ़ आपके जज़्बातों को आवाज़ देती हैं, बल्कि आपको मोहब्बत, जुदाई और ज़िंदगी की गहराइयों से रूबरू भी कराती हैं।

आज हम बात कर रहे हैं उस शायर की जिनके लफ़्ज़ों में सच्चाई और तासीर दोनों का संगम है — mohsin naqvi shayari

Mohsin Naqvi Shayari – कुछ ख़ास लफ़्ज़

Mohsin Naqvi Shayari

हर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद न कर दे
तन्हाई के लम्हों में कभी रो भी लिया कर

कौन सी बात है तुम में ऐसी
इतने अच्छे क्यूँ लगते हो

यूँ देखते रहना उसे अच्छा नहीं ‘मोहसिन’
वो काँच का पैकर है तो पत्थर तिरी आँखें

Mohsin Naqvi Shayari

सिर्फ़ हाथों को न देखो कभी आँखें भी पढ़ो
कुछ सवाली बड़े ख़ुद्दार हुआ करते हैं

तुम्हें जब रू-ब-रू देखा करेंगे
ये सोचा है बहुत सोचा करेंगे

कल थके-हारे परिंदों ने नसीहत की मुझे
शाम ढल जाए तो ‘मोहसिन’ तुम भी घर जाया करो

Mohsin Naqvi Shayari

वफ़ा की कौन सी मंज़िल पे उस ने छोड़ा था
कि वो तो याद हमें भूल कर भी आता है

ये किस ने हम से लहू का ख़िराज फिर माँगा
अभी तो सोए थे मक़्तल को सुर्ख़-रू कर के

कितने लहजों के ग़िलाफ़ों में छुपाऊँ तुझ को
शहर वाले मिरा मौज़ू-ए-सुख़न जानते हैं

Mohsin Naqvi Shayari

वो अक्सर दिन में बच्चों को सुला देती है इस डर से
गली में फिर खिलौने बेचने वाला न आ जाए

ज़िक्र-ए-शब-ए-फ़िराक़ से वहशत उसे भी थी
मेरी तरह किसी से मोहब्बत उसे भी थी

जब से उस ने शहर को छोड़ा हर रस्ता सुनसान हुआ
अपना क्या है सारे शहर का इक जैसा नुक़सान हुआ

Mohsin Naqvi Shayari

अब तक मिरी यादों से मिटाए नहीं मिटता
भीगी हुई इक शाम का मंज़र तिरी आँखें

कहाँ मिलेगी मिसाल मेरी सितमगरी की
कि मैं गुलाबों के ज़ख़्म काँटों से सी रहा हूँ

अब के बारिश में तो ये कार-ए-ज़ियाँ होना ही था
अपनी कच्ची बस्तियों को बे-निशाँ होना ही था

Mohsin Naqvi Shayari

अज़ल से क़ाएम हैं दोनों अपनी ज़िदों पे ‘मोहसिन’
चलेगा पानी मगर किनारा नहीं चलेगा

गहरी ख़मोश झील के पानी को यूँ न छेड़
छींटे उड़े तो तेरी क़बा पर भी आएँगे

क्यूँ तिरे दर्द को दें तोहमत-ए-वीरानी-ए-दिल
ज़लज़लों में तो भरे शहर उजड़ जाते हैं

Mohsin Naqvi Shayari

जो दे सका न पहाड़ों को बर्फ़ की चादर
वो मेरी बाँझ ज़मीं को कपास क्या देगा

सुना है शहर में ज़ख़्मी दिलों का मेला है
चलेंगे हम भी मगर पैरहन रफ़ू कर के

लोगो भला इस शहर में कैसे जिएँगे हम जहाँ
हो जुर्म तन्हा सोचना लेकिन सज़ा आवारगी

Mohsin Naqvi Shayari

मौसम-ए-ज़र्द में एक दिल को बचाऊँ कैसे
ऐसी रुत में तो घने पेड़ भी झड़ जाते हैं

काश कोई हम से भी पूछे
रात गए तक क्यूँ जागे हो

ढलते सूरज की तमाज़त ने बिखर कर देखा
सर-कशीदा मिरा साया सफ़-ए-अशजार के बीच

Mohsin Naqvi Shayari

हम अपनी धरती से अपनी हर सम्त ख़ुद तलाशें
हमारी ख़ातिर कोई सितारा नहीं चलेगा

ये शाइ’री ये किताबें ये आयतें दिल की
निशानियाँ ये सभी तुझ पे वारना होंगी

वो लम्हा भर की कहानी कि उम्र भर में कही
अभी तो ख़ुद से तक़ाज़े थे इख़्तिसार के भी

Mohsin Naqvi Shayari

वो मुझ से बढ़ के ज़ब्त का आदी था जी गया
वर्ना हर एक साँस क़यामत उसे भी थी

पलट के आ गई ख़ेमे की सम्त प्यास मिरी
फटे हुए थे सभी बादलों के मश्कीज़े

इस शान से लौटे हैं गँवा कर दिल-ओ-जाँ हम
इस तौर तो हारे हुए लश्कर नहीं आते

एक बार इन्हें भी पढ़ें

Mohsin Naqvi Shayari सिर्फ़ शब्दों का मेल नहीं है, ये एहसास की वो डोर है जो दिलों को जोड़ देती है।
चाहे बात जुदाई की हो या मोहब्बत की, उनके हर अल्फ़ाज़ में सुकून, दर्द और सच्चाई एक साथ बसते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. Mohsin Naqvi कौन थे और उनकी शायरी क्यों मशहूर है?

Mohsin Naqvi पाकिस्तान के एक मशहूर उर्दू शायर थे जिनकी शायरी दर्द, सच्चाई और इंसानियत की गहराइयों को बख़ूबी बयां करती है। उनकी शायरी में मोहब्बत और जज़्बात की झलक लोगों को बहुत पसंद आती है।

2. Mohsin Naqvi Shayari किस तरह की भावनाओं को व्यक्त करती है?

ये शायरी ज़िंदगी के हर पहलू को छूती है – मोहब्बत, जुदाई, उम्मीद और सच्चे एहसास को सहज लफ़्ज़ों में उतारती है।

3. क्या Shayari Path पर रोज़ नई Mohsin Naqvi Shayari मिलती है?

जी हां! Shayari Path पर हर दिन नई और ताज़ा शायरियाँ अपलोड की जाती हैं ताकि आप हर दिन नए जज़्बात महसूस कर सकें।

4. क्या मैं यहाँ से अपनी पसंदीदा शायरी शेयर कर सकता हूँ?

बिलकुल! आप Shayari Path से अपनी मनपसंद शायरी कॉपी करके सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं और अपने दोस्तों के साथ दिल की बात बाँट सकते हैं।

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