अगर आप उर्दू अदब, दर्द-ए-दिल और एहसास के सागर में डूबना चाहते हैं, तो Shayari Path आपके लिए सबसे सही जगह है। यहाँ हम रोज़ाना ऐसी अनमोल शायरियाँ साझा करते हैं जो न सिर्फ़ आपके जज़्बातों को आवाज़ देती हैं, बल्कि आपको मोहब्बत, जुदाई और ज़िंदगी की गहराइयों से रूबरू भी कराती हैं।
आज हम बात कर रहे हैं उस शायर की जिनके लफ़्ज़ों में सच्चाई और तासीर दोनों का संगम है — mohsin naqvi shayari।
Mohsin Naqvi Shayari – कुछ ख़ास लफ़्ज़

हर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद न कर दे
तन्हाई के लम्हों में कभी रो भी लिया कर
कौन सी बात है तुम में ऐसी
इतने अच्छे क्यूँ लगते हो
यूँ देखते रहना उसे अच्छा नहीं ‘मोहसिन’
वो काँच का पैकर है तो पत्थर तिरी आँखें

सिर्फ़ हाथों को न देखो कभी आँखें भी पढ़ो
कुछ सवाली बड़े ख़ुद्दार हुआ करते हैं
तुम्हें जब रू-ब-रू देखा करेंगे
ये सोचा है बहुत सोचा करेंगे
कल थके-हारे परिंदों ने नसीहत की मुझे
शाम ढल जाए तो ‘मोहसिन’ तुम भी घर जाया करो

वफ़ा की कौन सी मंज़िल पे उस ने छोड़ा था
कि वो तो याद हमें भूल कर भी आता है
ये किस ने हम से लहू का ख़िराज फिर माँगा
अभी तो सोए थे मक़्तल को सुर्ख़-रू कर के
कितने लहजों के ग़िलाफ़ों में छुपाऊँ तुझ को
शहर वाले मिरा मौज़ू-ए-सुख़न जानते हैं

वो अक्सर दिन में बच्चों को सुला देती है इस डर से
गली में फिर खिलौने बेचने वाला न आ जाए
ज़िक्र-ए-शब-ए-फ़िराक़ से वहशत उसे भी थी
मेरी तरह किसी से मोहब्बत उसे भी थी
जब से उस ने शहर को छोड़ा हर रस्ता सुनसान हुआ
अपना क्या है सारे शहर का इक जैसा नुक़सान हुआ

अब तक मिरी यादों से मिटाए नहीं मिटता
भीगी हुई इक शाम का मंज़र तिरी आँखें
कहाँ मिलेगी मिसाल मेरी सितमगरी की
कि मैं गुलाबों के ज़ख़्म काँटों से सी रहा हूँ
अब के बारिश में तो ये कार-ए-ज़ियाँ होना ही था
अपनी कच्ची बस्तियों को बे-निशाँ होना ही था

अज़ल से क़ाएम हैं दोनों अपनी ज़िदों पे ‘मोहसिन’
चलेगा पानी मगर किनारा नहीं चलेगा
गहरी ख़मोश झील के पानी को यूँ न छेड़
छींटे उड़े तो तेरी क़बा पर भी आएँगे
क्यूँ तिरे दर्द को दें तोहमत-ए-वीरानी-ए-दिल
ज़लज़लों में तो भरे शहर उजड़ जाते हैं

जो दे सका न पहाड़ों को बर्फ़ की चादर
वो मेरी बाँझ ज़मीं को कपास क्या देगा
सुना है शहर में ज़ख़्मी दिलों का मेला है
चलेंगे हम भी मगर पैरहन रफ़ू कर के
लोगो भला इस शहर में कैसे जिएँगे हम जहाँ
हो जुर्म तन्हा सोचना लेकिन सज़ा आवारगी

मौसम-ए-ज़र्द में एक दिल को बचाऊँ कैसे
ऐसी रुत में तो घने पेड़ भी झड़ जाते हैं
काश कोई हम से भी पूछे
रात गए तक क्यूँ जागे हो
ढलते सूरज की तमाज़त ने बिखर कर देखा
सर-कशीदा मिरा साया सफ़-ए-अशजार के बीच

हम अपनी धरती से अपनी हर सम्त ख़ुद तलाशें
हमारी ख़ातिर कोई सितारा नहीं चलेगा
ये शाइ’री ये किताबें ये आयतें दिल की
निशानियाँ ये सभी तुझ पे वारना होंगी
वो लम्हा भर की कहानी कि उम्र भर में कही
अभी तो ख़ुद से तक़ाज़े थे इख़्तिसार के भी

वो मुझ से बढ़ के ज़ब्त का आदी था जी गया
वर्ना हर एक साँस क़यामत उसे भी थी
पलट के आ गई ख़ेमे की सम्त प्यास मिरी
फटे हुए थे सभी बादलों के मश्कीज़े
इस शान से लौटे हैं गँवा कर दिल-ओ-जाँ हम
इस तौर तो हारे हुए लश्कर नहीं आते
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Mohsin Naqvi Shayari सिर्फ़ शब्दों का मेल नहीं है, ये एहसास की वो डोर है जो दिलों को जोड़ देती है।
चाहे बात जुदाई की हो या मोहब्बत की, उनके हर अल्फ़ाज़ में सुकून, दर्द और सच्चाई एक साथ बसते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. Mohsin Naqvi कौन थे और उनकी शायरी क्यों मशहूर है?
Mohsin Naqvi पाकिस्तान के एक मशहूर उर्दू शायर थे जिनकी शायरी दर्द, सच्चाई और इंसानियत की गहराइयों को बख़ूबी बयां करती है। उनकी शायरी में मोहब्बत और जज़्बात की झलक लोगों को बहुत पसंद आती है।
2. Mohsin Naqvi Shayari किस तरह की भावनाओं को व्यक्त करती है?
ये शायरी ज़िंदगी के हर पहलू को छूती है – मोहब्बत, जुदाई, उम्मीद और सच्चे एहसास को सहज लफ़्ज़ों में उतारती है।
3. क्या Shayari Path पर रोज़ नई Mohsin Naqvi Shayari मिलती है?
जी हां! Shayari Path पर हर दिन नई और ताज़ा शायरियाँ अपलोड की जाती हैं ताकि आप हर दिन नए जज़्बात महसूस कर सकें।
4. क्या मैं यहाँ से अपनी पसंदीदा शायरी शेयर कर सकता हूँ?
बिलकुल! आप Shayari Path से अपनी मनपसंद शायरी कॉपी करके सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं और अपने दोस्तों के साथ दिल की बात बाँट सकते हैं।
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