हमारे इस खास मंच पर आप पढ़ सकते हैं उस्ताद शायर मिर्जा ग़ालिब की अनमोल शेरो-शायरी को, जो दिलों में अपनी गहरी छाप छोड़ जाती है। ग़ालिब की शायरी न सिर्फ़ एक एहसास है, बल्कि यह जीवन के हर पहलु को गहरे भावनाओं और बेहतरीन कलाम से जोड़ने का एक खूबसूरत तरीका है। हर शेर, हर मिसरा, जैसे दिल की बातों को शब्दों में पिरोने का एक अनोखा अंदाज़ हो।
हमारी कोशिश है कि हम आपको Mirza Ghalib Shayari के जरिए उनके विचारों, उनके दर्द और उनके दिलचस्प इश्क़ को करीब से महसूस करवा सकें। आइए, इस शायरी की दुनिया में खो जाइए और ग़ालिब के कलाम की महक से खुद को सजा लीजिए।”
Mirza Ghalib Shayari In Hindi
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
दिल ही तो है न संगो-ख़िश्त, दर्द से भर न आये क्यों,
रोएंगे हम हज़ार बार, कोई हमें सताए क्यों।
ग़ालिब! तुझको एक दिन ये भी एहसास होगा,
वो जो तुझे देखे, वो खुद भी बर्बाद होगा।
कभी हमने भी जीने की तमन्ना की थी,
अब हम जीने से ज्यादा मरने की ख्वाहि रखते हैं।
रग-रग में बसी है एक आग सी,
इन्हें देख कर मुझे कोई फिक्र नहीं।
हुई है इक ग़लती, अब दुबाराह हो रही है,
ग़ालिब ने ही खुद को मझधार में फंसा दिया।
मुझे और कुछ नहीं चाहिए, मेरी राहतों के लिए,
बस तेरा मेरे पास होना जरूरी है।
वो और थे जिन्होंने मोहब्बत के नाम पे जीते,
हम तो ग़ालिब हैं, और हसीनों कीतस्वीरों में रहते हैं।
रोज़-रोज़ की दुआओं में कोई असर नहीं,
कोई नया अल्फ़ाज़ दिल से अब निकलने चाहिए।
मुझे भी इक ख़्वाब में खोने की आदत हो,
यादों में खो जाने का कोई फसाना हो।
ग़ालिब! अब तुझे मेरी तन्हाई से क्या लेना,
मुझे हर किसी की औरत की कमी नहीं महसूस होनी।
क्या होगा, अगर अब ये प्यार टूटे,
सारी दुनिया की हकीकत एक दिन टूटे।
जीते हैं जो ख्वाबों की दुनिया में,
कभी उन्हें जिंदगी की सख्त हकीकत का दर्द नहीं होता।
बुरा है जो होता है, वह सिर्फ इसलिए होता है,
क्योंकि हर दुःख और तकलीफ, हमारे दिलों में काम होते हैं।
नफ़रतों से घेर कर हमें प्यार से न भूलना,
जो दिल में अपने थे, उन्हीं से निभाना।
कभी तो सूरत में चेहरे से लबों तक नहीं छेड़ा,
तस्वीर में उकेरे गए रंग मिलते हैं खामोशियों से।
कभी तुम शेर हो, कभी अपने मन में एक काबूलिया सोच हो,
ग़ालिब! वो हम भी थे, सर्द आंधी में लहराते हुए फुल हो।
कभी हमने दिल से सब को चाहा,
जब सब हमसे नफ़रत करने लगे, तब खुद को खोने का शौक था।
अदायें तो एक रिवाज हैं मगर ग़ालिब,
दुआएं करना और सोच, ये सबसे बड़ी बात है।
बात यह नहीं कि हुस्न हमारे पास न था,
बल्कि हमारे ही पास सारी मोहब्बतें छुपी थीं।
नफरत में भी कुछ इतना प्यार छिपा है,
कि मोहब्बत से तुझे अब पूरा आत्मविश्वास होगा।
ग़ालिब! एक लम्हा भी भूल न पाएंगी ये आँखें,
तुम याद रहोगे हज़ार साल।
महोब्बत में रक्खा है ग़म सच्चा,
राहों में एक-दूसरे का रास्ता मिलाना चाहिए।
हमसे दूर नहीं रहे तो क्या करें,
माहौल में वो कोई ख्वाहिश नहीं है।
सारी दुनिया में ग़ालिब को याद किया जाता है,
क्योंकि उसकी बर्बादी को ही याद किया जाता है।
खुद को महसूस करने की उम्र अब आई है,
हमें नज़रें प्यार की ही चाहिए।
कोई अद्भुत ख्वाहिश हो, कोई सुकून हो,
मुझे तेरी आँखों के अंजाम में एक आग की लौ चाहिए।
लव का मतलब कुछ और समझा करते थे,
मगर जीने की उम्मीद कहीं न कहीं एक साथ।
अक्सर हमें खुदा से ही रिश्ता जोड़ा करते थे,
मगर अब वह मोहब्बत एक ही दुआ में खो देती है।
हमें खुद को बदलते हुए देखने की इच्छा है,
जीने की तमन्ना में जो ग़ालिब ने किया।
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FAQ’s
1. Mirza Ghalib कौन थे?
उत्तर: मिर्जा गालिब एक प्रसिद्ध उर्दू और फ़ारसी कवि थे, जिन्हें अपनी ग़ज़लों और गहरी भावनाओं के लिए जाना जाता है।
2. ‘ग़ज़ल’ का क्या मतलब है?
उत्तर: ग़ज़ल एक प्रकार की कविता होती है, जिसमें प्रत्येक शेर दो पंक्तियों का होता है और यह प्रेम, दुःख और अस्तित्व जैसे विषयों पर आधारित होती है।
3. Mirza Ghalib Shayari आज भी क्यों प्रासंगिक है?
उत्तर: Mirza Ghalib Shayari जीवन के सार्वभौमिक भावनाओं और जटिलताओं को व्यक्त करती है, जो आज भी लोगों को प्रभावित करती है।
4.Mirza Ghalib Shayari के मुख्य विषय क्या हैं?
उत्तर: प्रेम, दुःख, तन्हाई, अस्तित्व और जीवन के गहरे अर्थ उनके प्रमुख विषय हैं।
5. गालिब की शायरी को कैसे समझें?
उत्तर: गालिब की शायरी को समझने के लिए उनके समय और भाषा का ज्ञान और ग़ज़लों पर विचार करना जरूरी है।
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