रिश्तों की दर्द भरी शायरी, रिश्ते… जो हमें जोड़ते हैं, सहारा देते हैं, और कभी-कभी वही रिश्ते हमें सबसे गहरे ज़ख़्म दे जाते हैं। इस पन्ने पर हम उन अनकहे जज़्बातों को शायरी की सूरत में बयान कर रहे हैं, जो दिल की गहराइयों से निकलते हैं। कभी बिछड़ने की टीस, कभी अधूरी मोहब्बत की कसक, और कभी अपनों की बेरुख़ी — यहाँ हर अहसास को अल्फ़ाज़ मिले हैं।
आइए, दिल की आवाज़ को सुनें और उन रिश्तों के दर्द को महसूस करें, जिनमें छुपे हैं हमारे सबसे अनमोल जज़्बात।
रिश्तों की दर्द भरी शायरी | Sad Shayari of Relationships
दिल में छुपी है जो कसक, लबों पे आती नहीं,
रिश्तों की ये बेबसी, अब सही जाती नहीं।
बदलते मौसम सा हुआ, हर एक याराना,
दर्द की ये कहानी, अब लगती है पुराना।
कभी जो थे हमदम, आज लगते हैं बेगाने,
रिश्तों के ये धागे, क्यों उलझे हैं अनजाने।
आँखों में नमी है और दिल में है ग़म,
अपनों से मिले ज़ख़्म, क्या कम होंगे हम?
प्यार की राहों में मिले, काँटे ही काँटे,
रिश्तों के गुलशन में, अब फूल खिलते नहीं झूठे।
वफ़ा की उम्मीद थी जिनसे, वो ही निकले बेवफ़ा,
रिश्तों की ये सच्चाई, देती है हर पल सज़ा।
टूटे हुए सपने और बिखरी हुई यादें,
रिश्तों की ये तस्वीर, अब करती है बस बातें।
दूरियाँ बढ़ीं ऐसे कि मिट ही न पाईं,
रिश्तों की ये दीवारें, अब गिरने में भी शरमाईं।
शिकवे भी अब किससे करें, कोई सुनने वाला नहीं,
रिश्तों की ये खामोशी, कहती है हर कहानी।
दर्द इतना है कि अब महसूस भी नहीं होता,
रिश्तों का ये बंधन, क्यों इतना कमजोर होता?
हर मुलाक़ात में एक नया दर्द दे जाते हैं,
रिश्तों के ये मेहमान, बस आँसू दे जाते हैं।
कभी हँसी थी लबों पर, अब है सिर्फ उदासी,
रिश्तों की ये राहें, क्यों नहीं होतीं आसान सी?
दिल के आईने में धुंधली सी है सूरत उनकी,
रिश्तों की ये धुंध, कब होगी ये साफ़ कभी?
यादें उनकी अब चुभती हैं काँटों की तरह,
रिश्तों का ये गुलदान, हो गया वीरान बंजर ज़मीन की तरह।
बातों ही बातों में कैसे बदल गए रिश्ते,
दर्द की ये सौगात, मिली है हमें ये कैसे?
अनकहे लफ़्ज़ों का बोझ, दिल पर है भारी,
रिश्तों की ये उलझन, कब होगी ये प्यारी?
साथ चलने का वादा था, फिर क्यों छूटा ये हाथ,
रिश्तों की ये मजबूरी, क्या समझेगा कोई साथ?
हर आहट पे लगता है, वो लौट के आएँगे,
रिश्तों की ये उम्मीद, कब तक हमें सताएगी?
गैरों से क्या शिकवा करें, जब अपने ही बदल गए,
रिश्तों की ये कड़वाहट, कैसे इसे हम सहें?
ख़्वाबों का महल जो बनाया, वो रेत का निकला,
रिश्तों की ये हक़ीक़त, दर्द दे गई ये कितना।
दिल में समेटे हैं ग़म के सैलाब,
रिश्तों की ये नाव, कब पहुँचेगी उस पार?
हर खुशी में भी अब एक कमी सी लगती है,
रिश्तों की ये अधूरी कहानी, हर पल खलती है।
कभी जो मरहम थे, आज बने हैं नासूर,
रिश्तों का ये बदलाव, नहीं है हमें मंज़ूर।
तन्हाई में अक्सर उनकी याद आती है,
रिश्तों की ये कमी, हर पल हमें रुलाती है।
चाहत थी बेपनाह, पर मिली बेरुख़ी,
रिश्तों की ये दुनिया, लगती है अब झूठी।
हर सुबह एक नया दर्द लेकर आती है,
रिश्तों की ये रातें, कब चैन से सो पाती हैं?
दिल के हर कोने में दर्द बसा है गहरा,
रिश्तों का ये ज़ख्म, कब होगा ये सही ज़रा?
उम्मीदों के पंख टूटे, अब उड़ना भी मुश्किल,
रिश्तों की ये बेबसी, करती है दिल को घायल।
वक़्त के साथ धुंधली हुई हर एक पहचान,
रिश्तों का ये सफ़र, क्यों बन गया इतना अनजान?
आँसुओं की लड़ी में पिरोई है दास्तान-ए-दर्द,
रिश्तों की ये कहानी, कभी न होगी ये सर्द।
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FAQs
1. रिश्तों की दर्द भरी शायरी क्या होती है?
रिश्तों की दर्द भरी शायरी वे पंक्तियाँ होती हैं जो टूटे हुए, बिखरे या अधूरे रिश्तों के दर्द, बेवफाई, तन्हाई और दिल के जख्मों को बयां करती हैं। ये शायरी दिल की भावनाओं को शब्दों में ढालती है।
2. क्या मैं यहाँ अपनी लिखी शायरी भेज सकता/सकती हूँ?
हाँ, आप अपनी लिखी हुई शायरी हमें भेज सकते हैं! हम बेहतरीन और सच्चे जज़्बातों से भरी शायरी को आपके नाम के साथ पब्लिश करेंगे।
3. किस तरह की शायरी यहाँ पढ़ने को मिलेगी?
यहाँ आपको रिश्तों में दर्द, बेवफाई, तन्हाई, यादों और जख्मों पर आधारित शायरी मिलेगी — जो दिल से निकली और दिल तक पहुँचे।
4. क्या ये शायरी सोशल मीडिया पर शेयर कर सकता/सकती हूँ?
जी हाँ! आप यहाँ की शायरी अपने व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक या स्टेटस पर शेयर कर सकते हैं। बस दिल से जुड़ जाएँ और दूसरों के दिल तक इसे पहुँचाएँ।
5. क्या इस वेबसाइट पर और भी शायरी कैटेगरी मिलेंगी?
हाँ, हम रिश्तों की दर्द भरी शायरी के साथ-साथ मोहब्बत, तन्हाई, दोस्ती, प्रेरणा और हास्य शायरी की कैटेगरी भी जल्द लाने वाले हैं।
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